विकसित भारत की संकल्पना ( Concept of Developed India )

आज हमने आत्म तत्व से लेकर परमात्म तत्व तक, अध्यात्म से लेकर आयुर्वेद तक, मैथ से लेकर मैटर्लजी तक, सोशल साइंस से लेकर सोलर साइंस तक, शून्य से लेकर अनंत तक यानी हर एक क्षेत्र में अप्रत्याशित, अकल्पनीय एवं अद्भुत प्रगति हासिल की है इतिहास हमारा सम्बल है, विज्ञान हमारा है भुजबल । गत वैभव का आदर्श आज, कर देगा भावी भी उज्जवल ।। नूतन निर्मिति की तृप्ति अमर फिर गीत विजय के गायेगी । पतवार चलाते जाएंगे,मंजिल आयेगी-आयेगी।।

विकसित भारत की संकल्पना ( Concept of Developed India )
विकसित भारत की संकल्पना

नमस्कार मैं अमन कुमार त्रिपाठीआज विषय “विकसित भारत की संकल्पना” पर अपने विचार प्रस्तुत करने के लिए उपस्थित हूं।

जब मैं बात विकसित भारत की करता हूं तो  विकसित भारत का मतलब सिर्फ आधुनिक राष्ट्रीय उन्नति  के लक्ष्य को पाना ही नहीं है अपितु यह भारत की प्राचीन संस्कृतियों,सभ्यताओं और परम्परागत प्रथाओं तथा रीति रिवाजो से प्रेरित होकर, वसुधैव कुटुंबकम और विश्वबंधुत्व की भावना से साहित्य, कला, खेल, विज्ञान, अनुसंधान, अंतरिक्ष, सैन्य तथा कृषि सहित प्रत्येक क्षेत्र में सार्वभौमिक और सर्वांगीण  विकास की अवधारणा के लक्ष्य को परिलक्षित करने का सतत् अभियान है।.

इस अभियान में भारत का बहुसंख्यक नागरिक अपने कर्तव्यों का निष्पादन सम्यक रूप से कर रहा है और सभी की प्रतिपल करने की जिम्मेदारी भी है। इसी आधार पर आज कहते हुए गर्व की अनुभूति हो रही है कि कि हम विकसित भारत की अवधारणा के दृष्टिगत आज विश्व की सबसे बड़ी पांचवी अर्थ र्थव्यवस्था है, हम अंतरिक्ष में भी शीर्ष पर अपना लोहा मनवा रहे हैं.

हम विज्ञान के क्षेत्र में भी बड़े-बड़े आविष्कार कर रहे हैं यानी हमने हर क्षेत्र में शोध करके नए निष्कर्ष निकाले हैं और पूरे वि वि श्व को एक नई दिशा देने का काम किया है और इसी संकल्पना के साथ हम सक्षम, समर्थ और आधुनिक भारत की परिकल्पना के साथ लगातार आगे बढ़ रहे हैं।

आज हम सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक असमानताओं को दूर करके भारत को एक भारत-श्रेष्ठ भारत बनाने के लिए सतत् प्रयास कर रहे है और हम इस दिशा में विश्व के विकसित देशों की सूची में शीर्ष बनकर शीघ्र उभरेंगे। इसलिए हमें  विकल्पों पर नहीं संकल्पो पर जीवन जीते हुए टीम भारत का हिस्सा बनकर जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान तथा जय अनुसंधान की भावना के साथ-साथ हर स्तर से,हर स्थिति में और हर सक्षमता के साथ इस देश के सतत् विकास का सहायक बनना होगा तब जाकर हम भारत को पहले से अधिक संपन्न, सशक्त और सम्पूर्ण प्रभुत्व बनाते हुए विकसित भारत बना सकेंगे।

आज हमने आत्म तत्व से लेकर परमात्म तत्व तक, अध्यात्म से लेकर आयुर्वेद तक, मैथ से लेकर मैटर्लजी तक, सोशल साइंस से लेकर सोलर साइंस तक, शून्य से लेकर अनंत तक यानी हर एक क्षेत्र में अप्रत्याशित, अकल्पनीय एवं अद्भुत प्रगति हासिल की है  जिसके अनेकों प्रतिमान प्रतिपल वैश्विक पटल पर स्थापित हो रहे हैं और इस दिशा में हम निरंतर अपने अतीत पर गौरव की अनुभूति करते हुए, वर्तमान को पुष्पित और पल्लवित करते हुए स्वर्णिम भविष्य की पटकथा लिख रहे हैं।

आज हमें जो मिल चुका है उसे विरासत के रूप में सहेज कर रखने की जरूरत है, हमें जो मिल रहा है उसे आगे की उन्नति के लिए संभाल कर रखने की जरूरत है और हमें जो मिलना है यानी हमें जो प्राप्त करना है उसके लिए हमको सतत दृढ़ संकल्पित होकर प्रयास करने की जरूरत है और यह सभी प्रयास अपनी सफलताओं तक पहुंच कर विकसित भारत की यथार्थ संकल्पना को अति शीघ्र ही वैश्विक पटल पर साकार करते हुए साबित करेंगे।

साथियो अंत में बस इतना कहना चाहूंगा कि-

इतिहास हमारा सम्बल है, विज्ञान हमारा है भुजबल ।

गत वैभव का आदर्श आज, कर देगा भावी भी उज्जवल ।।

नूतन निर्मिति की तृप्ति अमर  फिर गीत विजय के गायेगी ।

पतवार चलाते जाएंगे,मंजिल आयेगी-आयेगी।।